अपराजिता के फायदे

अपराजिता एक बहुउद्देशीय और सुंदर लता वाला पौधा है, जिसे भारत में धार्मिक, औषधीय और सजावटी उद्देश्यों के लिए उगाया जाता है। इसे ब्लू पी, शंखपुष्पी, बटरफ्लाई पी (क्लिटोरिया टर्नेटिया) के नाम से भी जाना जाता है। अपराजिता एक आसान और कम देखभाल वाला पौधा है जिसे कोई भी उगा सकता है। आइए लेख के माध्यम से जानते हैं कि इसे बीजों के ज़रिए कैसे उगाया जा सकता है।

 

■ अपराजिता पौधे की विशेषताएँ:-

● यह एक बेल वाला पौधा है, जिसे आप थोड़ी मेहनत करके हैज़ के रूप में भी विकसित कर सकते हैं।

● इसके फूल नीले, सफेद रंग के शंख जैसी आकृति के होते हैं।

● यह गर्म जलवायु में तेजी से बढ़ता है और लगभग सालभर हरा-भरा रहता है।

● इसके बीज फली के रूप में विकसित होते हैं, जो सूखने के बाद नए पौधे उगाने के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।

 

■ अपराजिता के फायदे:-

(1) धार्मिक उपयोग:-

● इसे पूजा और हवन में प्रयोग किया जाता है।

● इसे घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

(2) औषधीय गुण:-

◆ मस्तिष्क के लिए फायदेमंद: याददाश्त बढ़ाने में सहायक है।

◆ डायबिटीज और ब्लड प्रेशर: आयुर्वेद में इसे रक्तचाप और मधुमेह नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है।

◆ चाय बनाने के लिए: अपराजिता फूलों से ब्लू टी बनाई जाती है, जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है।

◆ त्वचा और बालों के लिए: इसमें एंटी-एजिंग और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।

(3) बागवानी में उपयोग:- इसकी जड़ें नाइट्रोजन को मिट्टी में जोड़ती हैं, जिससे यह जमीन की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करता है।

 

■ अपराजिता को बीज से उगाने की विधि:-

 

★ बीज प्राप्त करना: अपराजिता के पौधे की सूखी फलियों से बीज निकाल सकते हैं। बीज अच्छी तरह परिपक्व होने चाहिए, यानी गहरे भूरे या काले रंग के होने चाहिए।

★ बीज तैयार करना: सूखी फलियों से बीज निकालें और रातभर पानी में भिगो दें। इससे बीज जल्दी अंकुरित होते हैं।

★ मिट्टी तैयार करना: 50% बगीचे की मिट्टी + 30% जैविक खाद + 20% बालू (रेत) मिलाएँ। गमले या ज़मीन में बोने से पहले मिट्टी को नम कर लें।

★ गमले या बगीचे में स्थान: यदि गमले में उगा रहे हैं, तो 8-10 इंच का गमला लें और उसके निचले हिस्से में छेद होने चाहिए। बगीचे में उगा रहे हैं, तो ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ दिनभर 6-7 घंटे धूप मिल सके। इससे यह तेजी से बढ़ता है।

★ बीज बोना: आधे से 1 इंच गहराई में बीज दबाएँ। प्रत्येक बीज के बीच 6-8 इंच की दूरी रखें। बीज बोने के तुरंत बाद हल्का पानी दें।

★ पानी और धूप: नियमित रूप से पानी दें, लेकिन मिट्टी बहुत गीली न रखें, जलभराव न होने दें।

★ अंकुरण और शुरुआती देखभाल: बीज 5-10 दिनों के भीतर अंकुरित हो जाते हैं (मौसम और तापमान के अनुसार)। जब पौधा 3-4 इंच का हो जाए, तो जरूरत पड़ने पर दूसरी जगह रोपाई कर सकते हैं।

★ खाद और देखभाल: अंकुरण के 2-3 महीनों में फूल आना शुरू हो जाता है। जब बढ़ रही हो रहा है, तो लकड़ी या जाली का सहारा दें। फूलों के अच्छे विकास के लिए हर 15 दिन में गोबर की खाद या जैविक खाद डालें। महीने में एक बार सरसों की खली या केला के छिलके की खाद डाल सकते हैं।

 

■ कीट और रोग नियंत्रण:-

● अगर पत्तों पर सफेद धब्बे दिखें तो नीम तेल का छिड़काव करें।

● अधिक नमी होने पर फफूंदी लग सकती है, इसलिए पानी देने में संतुलन बनाएँ।

 

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