शंखपुष्पी 🌹
शंखपुष्पी एक जड़ी बूटी है जो आपकी याददाश्त बढ़ाती है और तनाव से राहत दिलाने वाले गुणों के लिए जानी जाती है। इसमें सुंदर सफ़ेद या नीले फूल पाए जाते हैं और इसका उपयोग आम तौर पर आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है।
शंखपुष्पी का स्वाद कसैला और इसकी तासीर ठंडी होती है आयुर्वेद के अनुसार शंखपुष्पी एक ऐसी जड़ी बूटी है जो दिमाग को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अनेक तरह के बीमारियों के लिए औषधि के रूप में काम करती है। कहने का मतलब ये है कि शंखपुष्पी की खास बात ये है कि यह मानसिक रोगों के लिए बहुत ही लाभादायक होती है।
गर्भाशय से निकलने वाले रक्त को रोकने के लिए यह एक उत्तम और पौष्टिक औषधि है। गर्भाशय से संबंधित किसी भी रोग में यह अत्यंत लाभकारी साबित होती है। इसके लिए शंखपुष्पी को हरड़, घी, शतावरी और शक्कर मिलाकर सेवन करना चाहिए।
शंखपुष्पी के फूलों में एथेनॉलिक अर्क पाया जाता है, जो नॉन-एस्ट्रिफाइड फैटी एसिड के लेवल को कम करता है। इससे हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉक, ब्लड क्लॉट आदि गंभीर रोगों के जोखिम को कम करने में भी मदद मिलती यह रक्त को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है।
मौसम बदलने के साथ-साथ अस्थमा, सर्दी, खांसी और बुखार जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। ऐसे में शंखपुष्पी एक असरदार औषधि साबित होती है। बुखार, अस्थमा और पुरानी खांसी से राहत के लिए इसके पत्तों को सुखाकर हुक्के की तरह इसका सेवन करने से लाभ होता है। शंखपुष्पी शरीर में पित्तदोष के रस का संतुलन बनाए रखती है, खांसी में इसके रस का सेवन तुलसी और अदरक के साथ कराया जाता है।
उल्टी हो रही हो तो शंखपुष्पी का रस दो चम्मच उसमें एक चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ बार-बार पिलाने से उल्टी होना कम हो जाता है, इससे उल्टी में आराम मिलता है।
शंखपुष्पी खून की उल्टी रोकने वाली उत्तम औषधि है। यदि किसी को खून की उल्टी हो रही हो, तो शंखपुष्पी का रस,दूब घास तथा गिलोय का रस मिलाकर पिलाने से तत्काल लाभ होता है। नाक से खून बहने पर भी इसकी बूंद नाक में डालने से खून आना बंद हो जाता है।
शंखपुष्पी फूल में हल्के रेचक गुण पाए जाते हैं जिस वजह से यह पाचन में सुधार कर सकता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल पीलिया, पेचिश, बवासीर जैसे अन्य पेट से जुड़े विकारों के लिए भी किया जाता है।शंखपुष्पी का इसके रसायन गुणों के कारण चेहरे की झुर्रियों और उम्र बढ़ने के लक्षणों को रोकने में मदद कर सकता है। इसके हीलिंग त्वचा के मुंहासे और घाव भरने में कर सकते हैं।
मूत्र रोग में शंखपुष्पी बड़ी ही लाभकारी औषधि है। पेशाब करते समय जलन या दर्द होना, रुक-रुक कर पेशाब होना, पेशाब में पस आ जाना आदि रोग इसके सेवन से ठीक हो जाते हैं। ऐसे रोगों से राहत पाने के लिए प्रतिदिन शंखपुष्पी चूर्ण गाय के दूध, मक्खन, शहद अथवा छाछ के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।
अक्सर बच्चे रात में सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं। इसके बीमारी में भी शंखपुष्पी का चूर्ण काम आता है। उन बच्चों को रात में सोते समय शंखपुष्पी चूर्ण और काला तिल मिलाकर दूध के साथ सेवन कराने से इस बीमारी से राहत मिलती है।
डायबिटीज को नियंत्रण में करने के लिए शंखपुष्पी का चूर्ण को सुबह-शाम गाय के मक्खन के साथ या पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में बहुत लाभ होता है।
मिर्गी के मरीज को अगर बार-बार दौरा पड़ता है तो शंखपुष्पी का सेवन इस तरह कराने से लाभ मिलता है शंखपुष्पी रस में शहद मिलाकर सुबह शाम पिलाने से अपस्मार रोग या मिर्गी में लाभ मिलता है।
आप इसका इस्तेमाल पाउडर, जूस, कैप्सूल और टेबलेट के रूप में कर सकते हैं। इसके पाउडर को दूध या गर्म पानी के साथ सुबह-सुबह लिया जा सकता है। इसके जूस को पानी के साथ लिए जा सकता है। इसके कैप्सूल और टेबलेट को पानी और दूध के साथ लिया जा सकता है। इनके अलावा आप इसके सूखे फूल की चाय बनाकर भी पी सकते हैं।
ये पोस्ट सिर्फ जानकारी देती है,शंखपुष्पी का सेवन किसी आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह से ही सेवन करें।🙏