पितृ श्राप क्या है

जिन लोगों का निधन हो चुका है, उन्हें पितर कहा जाता है. पितरों को श्रद्धापूर्वक याद किया जाता है और उनके लिए पिंडदान किया जाता है. पितरों को खुश करने के लिए श्राद्ध-तर्पण किया जाता है.

 

पितर जब नाराज हो जाते हैं तो वे श्राप देते हैं, जिसके कारण व्यक्ति को अपने जीवन में कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है. पितरों का श्राप 7 पीढ़ियों तक चलता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि पितरों का श्राप कैसे लगता है? पितरों के श्राप के कारण कौन सी 5 बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है?

 

पितरों का श्राप 7 पीढ़ियों तक चलता है.

ज्योतिष में 11 तरह के पितृ श्राप होते हैं.

 

सनातन धर्म में पितरों का विशेष स्थान है, इसलिए सभी मांगलिक कार्यों में पितरों की पूजा की जाती है. शादी, जनेऊ आदि जैसे कार्यक्रमों में पितरों को आमंत्रित भी किया जाता है क्योंकि उनके आशीर्वाद से संतान का कल्याण होता है. यही पितर जब नाराज हो जाते हैं तो वे श्राप देते हैं, जिसके कारण व्यक्ति को अपने जीवन में कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है. कई बार पूरा परिवार ही पितृ दोष से पीड़ित होता है.

 

पितरों का श्राप 7 पीढ़ियों तक चलता है. पितरों को खुश करने के लिए अमावस्या, पूर्णिमा, महत्वपूर्ण स्नान की तिथियों और पितृ पक्ष में तर्पण, दान, श्राद्ध आदि करते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि पितरों का श्राप कैसे लगता है? पितरों के श्राप के कारण कौन सी 5 बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है?

पितृ श्राप क्या है?

जब कोई व्यक्ति अपने माता और पिता को कष्ट पहुंचाता है या कोई अपराध करता है तो उसे मृत्यु के बाद भूत, प्रेत, पिशाच आदि योनि में भटकना पड़ता है. वहीं ऐसे अपराध करने के बाद व्यक्ति को जब अगला मनुष्य जन्म मिलता है, तो उसे पितृ श्राप का भागी बनना पड़ता है. वहीं ज्योतिष में 11 तरह के पितृ श्राप होते हैं, जिसमें सूर्य, शनि, राहु, चंद्रमा, गुरु आदि ग्रहों की कुंडली में स्थितियों को देखकर इसका विचार होता है. पिछले जन्म का पितृ श्राप, पितृ ऋण या पितृ दोष कुंडली को देखकर भी होता है.

 

पितरों के श्राप से आने वाली परेशानियां

1. संतानहीन: जो व्यक्ति पितरों के श्राप या पितृ दोष से पीड़ित होता है, उसकी कोई संतान नहीं होती है. वह संतानहीन होता है. ऐसे लोग कभी भी संतान का मुख नहीं देख पाते हैं. मान्यताओं के अनुसार, पितर श्राप देते हैं कि जो व्यक्ति उनको तृप्त नहीं कर सका, उसे संतान की क्या जरूरत है. इस वजह से उसके वंश की वृद्धि नहीं हो पाती है.

 

2. धनहीन: जिन लोगों पर पितरों का श्राप होता है, वे संतानहीन के साथ श्रीहीन भी होते हैं. उनके पास धन, सुख, समृद्धि की कमी होती है. उनका जीवन तंगहाल होता है. पूरे जीवन में धन के लिए संघर्ष करना पड़ता है.

 

3. घर की नहीं होती बरकत: जिन परिवारों पर पितृ दोष होता है, उसके घर की बरकत नहीं होती है. वे लोग कितना भी मेहनत करते हैं, मन के मुताबिक सफलता नहीं मिलती है. पितरों के कारण कार्यों में बाधाएं आती हैं, बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं या लंबे समय के लिए अटक जाते हैं. जीवन में असफलताओं के कारण उनका उत्थान नहीं हो पाता है.

 

4. बीमारी और शारीरिक कष्ट: मान्यताओं के अनुसार, जिनके पितर नाराज रहते हैं, उनके घर का कोई न कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता है, उनको शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता है. परिवार का एक सदस्य स्वस्थ होता है तो दूसरा बीमार पड़ जाता है. परिवार के सदस्य दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं.

 

5. गृह क्लेश: पितरों की नाराजगी और उनके श्राप के कारण घर में हमेशा अशांति, वाद विवाद, परिवार के सदस्यों के बीच मारपीट, झगड़ा और एक-दूसरे के प्रति वैमनस्यता का भाव रहता है. गृह क्लेश के कारण हमेशा तनाव बना रहता है.

 

पितरों के श्राप की वजह से व्यक्ति के विवाह में अड़चनें और दांपत्य जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. पितृ दोष की वजह से व्यापार में धन हानि और असफलता मिलती है.

 

_ज्योतिष कोई परमात्मा नही यह आपका मार्ग दर्शक है_

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