त्रिफला से कायाकल्प

त्रिफला से कायाकल्प

रोचक

सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि त्रिफला चूर्ण क्या होता है। त्रिफला वास्तव में तीन औषधीय फलों का मिश्रण है, जोकि इन फलों के चूर्ण को मिश्रित करके बनाया जाता है। ये तीन फल हैं:

 

हरीतिका (हर्र या हरड़), विभीतिका (बहेड़ा) तथा आमलक (आँवला)।

 

इन तीनों फलों को पूर्णतया पकने के बाद गूदा निकालकर सामान्य तापमान पर (धीमी धूप में) सुखाकर इनका चूर्ण बनाया जाता है। तीनों चूर्णों को समान अनुपात 1:1:1 में मिलाकर त्रिफला चूर्ण तैयार किया जाता है।

 

किसी विशिष्ट रोग का निदान करते समय वैद्य इन औषधियों का अनुपात परिवर्तित भी कर सकते हैं, किन्तु समान अनुपात के मिश्रण को भी उपयोग किया जा सकता है।

 

यदि त्रिफला चूर्ण को प्रत्यक्ष सूर्यातप (Direct Sunlight) तथा आर्द्रता (Moisture) से बचाकर रखा जाए तो तीन से चार वर्ष इसका सुरक्षित रूप से सेवन किया जा सकता है।

 

त्रिफला का अनुपात :- 1:2:3=1(हरड )+2(बहेड़ा )+3(आंवला )

मतलब जैसे आपको 120 ग्राम त्रिफ़ला बनाना है तो :: 20 ग्राम हरड+40 ग्राम बहेडा+60 ग्राम आंवला लेवे |

 

त्रिफला से कायाकल्प:-

मौसम के अनुसार त्रिफला ले:-

हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है।

प्रत्येक ऋतू में दो दो मास होते है

 

1.शिशिर ऋतू में ( 14 जनवरी से 13 मार्च) 5 ग्राम त्रिफला को आठवां भाग छोटी पीपल का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।

 

2.बसंत ऋतू में (14 मार्च से 13 मई) 5 ग्राम त्रिफला को बराबर का शहद मिलाकर सेवन करें।

 

3.ग्रीष्म ऋतू में (14 मई से 13 जुलाई ) 5 ग्राम त्रिफला को चोथा भाग गुड़ मिलाकर सेवन करें।

 

4.वर्षा ऋतू में (14 जुलाई से 13 सितम्बर) 5 ग्राम त्रिफला को छठा भाग सैंधा नमक मिलाकर सेवन करें।

 

5.शरद ऋतू में(14 सितम्बर से 13 नवम्बर) 5 ग्राम त्रिफला को चोथा भाग देशी खांड/शक्कर मिलाकर सेवन करें।

 

6.हेमंत ऋतू में (14 नवम्बर से 13 जनवरी) 5 ग्राम त्रिफला को छठा भाग सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करें।

 

इस तरह इसका सेवन लगातार 11 वर्ष तक सेवन करने से 100% कायाकल्प हो जाएगा

 

1.एक वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर चुस्त होता है।

2.दो वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर निरोगी हो जाता हैं।

3.तीन वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति बढ जाती है।

4.चार वर्ष तक नियमित सेवन करने से त्वचा कोमल व सुंदर हो जाती है।

5.पांच वर्ष तक नियमित सेवन करने से बुद्धि का विकास होकर कुशाग्र हो जाती है।

6.छः वर्ष तक नियमित सेवन करने से शरीर शक्ति में पर्याप्त वृद्धि होती है।

7.सात वर्ष तक नियमित सेवन करने से बाल फिर से सफ़ेद से काले हो जाते हैं।

8.आठ वर्ष तक नियमित सेवन करने से वर्ध्दाव्स्था से पुन: योवन लोट आता है।

9.नौ वर्ष तक नियमित सेवन करने से नेत्र-ज्योति कुशाग्र हो जाती है और शुक्ष्म से शुक्ष्म वस्तु भी आसानी से दिखाई देने लगती हैं।

10.दस वर्ष तक नियमित सेवन करने से वाणी मधुर हो जाती है यानी गले में सरस्वती का वास हो जाता है।

11.ग्यारह वर्ष तक नियमित सेवन करने वचन सिद्ध हो जाता हैं।

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