बेशरम/बेहया/थेथर एक किस्म का पौधा है

🇮🇳 बेशरम/बेहया/थेथर एक किस्म का पौधा है, जिसे अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। ❤️बेहया को स्थानीय भाषा में बेशर्म के नाम से भी जाना जाता है। बेहया भारत में बड़ी ही आसानी से हर जगह देखा जा सकता है। इस पौधे में बहुत सुंदर गुलाबी रंग के फूल खिलते हैं। यह पौधा अक्सर सड़कों के किनारे, खाली जगह पर, नदी, तालाब, नहर आदि के किनारे अपने आप ही उग जाते हैं। इनकी खासियत होती है कि यह कठिन से कठिन परिस्थिति में भी जिंदा रहते हैं।

यह पौधा कभी सूखता या मरता नहीं है। इसलिए इसे बेशर्म कहा जाता है। कम पानी या कम धूप में भी यह मुरझाते नहीं। अगर बेहया पौधे की टहनियों को तोड़कर कहीं भी फेंक दिया जाए तो ये वहीं खुद ही उगने लगता है। ये कही भी किसी भी हाल में उग जाता है। इसे पानी में भी उगाया जा सकता है। यह पौधा पानी में सड़ता नहीं है। जंगली जानवर भी इस पौधे को नहीं खाते क्योंकि यह एक ज़हरीला पौधा होता है। बेहया के ज़हर के कारण इंसान भी इसे खा नहीं सकता। इसका उपयोग केवल बाहरी रूप से किया जाता है अंदरूनी रूप से नहीं।

बेहया की पत्तियां, टेहनियां और दूध को प्राचीन समय से ही लोग कई स्वास्थ्य समस्याएं ठीक करने में इस्तेमाल करते चले आ रहे हैं। बेहया से कीटनाशक भी बनाया जाता है, जिसके छिड़काव से फसलों पर लगने वाले कीटो का नाश होता है। बेहया का इस्तेमाल कम लोग करते हैं। गांव में तो आज भी लोग इस पौधे का प्रयोग कर पुराने घाव भरते हैं, लेकिन शहरों में इसके बारे में बहुत कम लोग जानते है।

#घाव_ठीक_करने_में_मददगार-

बेहया में एंटीबैक्टीरियल एंटीमाइक्रोबियल और एंटीऑक्सिडेंट्स गण पाए जाते हैं। इसलिए बेहया पौधे का इस्तेमाल घाव भरने में अधिक किया जाता है। इसकी पत्तियों पर तेल लगाकर हल्का गर्म कर चोट या घाव पर लगाने से घाव जदली भर जाते है। माना जाता है कि पुराने घाव भरने में भी बेहया काफी कामगर होता है।

#दर्द_से_दिलाए_राहत-

यह दर्द भी कम करता है। ऐसा माना जाता है कि इसकी पत्तियां पट्टी के रूप में लगाने से सारा दर्द खींच लेती है और आपको दर्द से राहत दिलाती है। इसमें दर्द को कम करने वाले गुण मौजूद होते हैं। इस पौधे का इस्तेमाल आपकी पुरानी चोट से हो रहे दर्द को भी कम करने की क्षमता रखता है। इसलिए चोट लगने पर चिकित्सक के पास नहीं जाना चाहते तो यह पौधा आपकी मदद कर सकता है।

#सूजन_कम_करना-

बेहया के पौधे में सूजन रोधी गुण यानि एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों को गर्म करके सूजी हुई त्वचा पर लगाने से सूजन ठीक हो जाती है। बेहया की पत्तियों से बने लेप को सूजी त्वचा पर लगाने से भी सूजन काम होती है। यह सूजन को 3 से 4 घंटे में ही ठीक करने लगता है। इस तरीके से पुरानी से पुरानी सूजन भी ठीक की का सकती है। सूजन को कम करने के लिए प्राचीन समय से इस पौधे को काफी लाभकारी माना जाता है।

#जहर_को_कम_करता_है-

बेहया की टहनियों और पत्तों को तोड़ने पर एक प्रकार का दूध निकलता है। बिच्छू के डंक मारने पर यदि यह दूध लगाया जाए तो इससे धीरे-धीरे ज़हर का असर कम होने लगता है। यही नहीं बेहया के पत्तो का लेप भी बिच्छू के डंक पर लगाकर ज़हर के असर को रोका जा सकता है।

#चर्म_रोग_के_लिए_फायदेमंद-

बेहया को चर्म रोग ठीक करने में भी प्रयोग किया जाता है। इसके एंटीफंगल गुण चर्म रोग को ठीक करने में सक्षम होते हैं। इसके लिए इस पौधे की जड़ को उखाड़कर और सुखाकर पीस लें और उसमें कपूर और कोकड़े का तेल मिलाकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं। इससे विटिलिगो जैसे चर्म रोग भी ठीक हो सकते है और तो और बेहाया दाद को भी ठीक करने में बहुत लाभदायक माना जाता है। इसके पत्ते त्वचा संबंधी अन्य कई विकारों में भी काम आते हैं।

बेहया का पौधा आपके लिए बहुत लाभदायक है। ध्यान रहे इसे खाना नहीं है। केवल उपरी तौर पर ही इसका सेवन आपको लाभ देता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *