हारसिंगार या नाईट जैस्मीन जिसे संस्कृत में ‘पारिजात’

हारसिंगार या नाईट जैस्मीन जिसे संस्कृत में ‘पारिजात’ और हिंदी में ‘शेफाली’ या ‘हरसिंगार’ कहा जाता है, एक पवित्र और औषधीय पौधा है। इसके फूल खुश्बू दार सफेद और केसरिया रंग के होते है। इसे बीज से उगाना एक प्राकृतिक और सरल तरीका है। आइये स्टेप-बाय-स्टेप सम्पूर्ण प्रक्रिया को जानते हैं।

 

1) बीज इकट्ठा करना और तैयार करना :-

 

● हारसिंगार के पेड़ पर फूल झड़ने के बाद गोल, कठोर और भूरे रंग के बीज लगते हैं।

● बीज पूरी तरह सूखे और परिपक्व होने पर ही उन्हें इकट्ठा करें।

● आप चाहें तो किसी नर्सरी से भी बीज खरीद सकते हैं।

 

बीज की तैयारी:-

 

● बीजों का ऊपरी कठोर छिलका हल्के से घिस लें या ब्लेड से एक छोटा कट लगाएं। यह पानी को अंदर जाने में मदद करेगा और जल्दी अंकुरण होगा।

● बीजों को रात भर गुनगुने पानी में भिगोकर रखें। इससे बीज की कठोरता कम होती है और अंकुरण प्रक्रिया तेज हो जाती है।

 

2) मिट्टी और गमले की तैयारी :-

 

● हारसिंगार को अच्छी जल निकासी (ड्रेनेज) वाली मिट्टी चाहिए। 50% गार्डन सॉइल (काली मिट्टी) 30% जैविक खाद (गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट) 20% रेत या बालू (ड्रेनेज के लिए)

● थोड़ा नीम खली पाउडर (कीड़े और फफूंद से बचाव के लिए)

 

गमला या स्थान चयन:-

 

● यदि गमले में लगाना है तो कम से कम 12-15 इंच गहरा गमला लें।

● गमले के नीचे जल निकासी के छेद (Drainage Holes) जरूर होने चाहिए।

● आप चाहें तो जमीन में भी सीधे लगा सकते हैं।

 

3) बीज बोने की विधि :-

 

● हारसिंगार के बीज बोने का सबसे अच्छा समय फरवरी से अप्रैल या जुलाई से सितंबर के बीच होता है।

● मॉनसून का समय पौधे की अच्छी बढ़त के लिए उपयुक्त रहता है।

 

बीज बोने की प्रक्रिया:-

 

● तैयार गमले या जमीन में मिट्टी भरकर हल्का पानी डालें।

● बीजों को 1 से 2 सेंटीमीटर गहराई में लगाएं।

● हल्की मिट्टी या कोकोपीट से बीज को ढक दें।

● स्प्रे की मदद से हल्का पानी छिड़कें।

 

4) अंकुरण और शुरुआती देखभाल :-

 

● आमतौर पर बीज 15 से 25 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं।

● यदि मौसम और मिट्टी का तापमान अनुकूल है तो अंकुरण जल्दी होगा।

 

प्रारंभिक देखभाल:-

 

● गमले को ऐसी जगह रखें जहाँ पर छायादार लेकिन हल्की धूप आती हो।

● मिट्टी को हल्का नम रखें लेकिन पानी का जमाव न होने दें।

● सप्ताह में एक बार नीम ऑयल स्प्रे करें ताकि फंगस और कीड़े न लगें।

 

5) पौध रोपाई और देखभाल :-

 

● जब पौधे की ऊंचाई 6 से 8 इंच हो जाए और उसमें कम से कम 4-5 पत्तियाँ आ जाएँ, तब उसे बड़े गमले या जमीन में रोपें।

● पौधे को लगाते समय जड़ को अधिक क्षति न पहुँचाएं।

 

सूरज की रोशनी:-

 

● हारसिंगार को प्रतिदिन कम से कम 4 से 6 घंटे की धूप चाहिए।

● गर्मियों में बहुत तेज धूप से बचाएं और हल्की छाया में रखें।

 

पानी देना:-

 

● ग्रीष्म ऋतु में हर दिन हल्का पानी दें।

● सर्दियों में सप्ताह में 1-2 बार पानी देना पर्याप्त है।

● बारिश के मौसम में जलजमाव से बचें।

 

खाद और पोषण:-

 

● हर महीने गोबर की खाद या वर्मीकंपोस्ट डालें।

● फूलों की अच्छी पैदावार के लिए 2 महीने में एक बार पोटाश और फास्फोरस युक्त जैविक खाद दें।

 

6) रोग और कीट नियंत्रण:-

 

● पत्तों का पीला होना: पानी ज्यादा देने के कारण होता है। मिट्टी की नमी जांचें।

● कीड़े-मकोड़े: नीम ऑयल का छिड़काव करें।

● फंगस या सड़न: मिट्टी में कभी भी ज्यादा पानी न जमने दें।

 

7) फूल आने का समय :-

 

● बीज से उगाए गए हारसिंगार के पौधे में 1 से 2 साल के भीतर फूल आना शुरू हो जाता है।

● फूल मुख्य रूप से बरसात के बाद शरद ऋतु (सितंबर से नवंबर) में आते हैं।

 

■ अतिरिक्त सुझाव :-

 

◆ हारसिंगार के पौधे को ठंड से बचाएं, क्योंकि यह उष्णकटिबंधीय पौधा है।

◆ गर्मियों में अधिक पानी दें और सर्दियों में कम।

◆ समय-समय पर पौधे की कटाई-छंटाई करें ताकि नई शाखाएँ आएं और फूलों की संख्या बढ़े।

 

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